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Showing posts from July, 2019

सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव

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हिंदुओं को लग रहा है कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत मुस्लिम राष्ट्र बन जाएगा और भारत में औरंगजेब शासन आ जाएगा। - मुस्लिमों को लग रहा है कि RSS कुछ ही दिनों में ISIS जैसा खूंखार संगठन बन जाएगा और आतंकवाद का रंग भगवा हो जाएगा। - दलितों को लग रहा कि जल्द ही नई संविधान सभा गठित होने वाली है जिसमें मनुस्मृति के नियमों को लागू किया जाना है और उनके विकास में रिवर्स गियर लग जाएगा जो उन्हें सीधे उत्तर वैदिक काल में ले जाएगा। - सवर्ण को लग रहा है कि आरक्षण की वजह से उसकी युवा पीढ़ी बेरोजगार और बेचारी होती जा रही है। ये सभी कल्पनाएँ कहाँ से उपजीं?  क्या वास्तव में हमारे आसपास ऐसे हालात पनप रहें हैं या कुछ और?? अगर हम ईमानदारी से विश्लेषण करें तो पाएंगे कि असल में ये सारी अवधारणाएं वाट्सऐप और फेसबुक पर अंधाधुंध फैलाए जा रहे उन्मादी कापी पेस्ट का नतीजा हैं। ये कापी पेस्ट लंबे लंबे मैसेज,भड़काऊ फोटो और तमाम वीडियो की शक्ल में बहुतायत से प्रचलित हैं। अगर हम सोशल मीडिया की छद्म दुनिया से निकलकर अपने आसपास लोगों को देखें तो यकीनन एक सौहार्दपूर्ण भारत नज़र आएगा.. लेकिन अगर हम अभी भी

प्रेरक प्रसंग - मन के विचार

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 प्रेरक प्रसंग एक समय की बात है... एक सन्त प्रात: काल भ्रमण हेतु समुद्र के तट पर पहुँचे... समुद्र के तट पर उन्होने एक पुरुष को देखा जो एक स्त्री की गोद में सर रख कर सोया हुआ था। पास में शराब की खाली बोतल पड़ी हुई थी. सन्त बहुत दु:खी हुए. उन्होने विचार किया कि ये मनुष्य कितना तामसिक और विलासी है, जो प्रात:काल शराब सेवन करके स्त्री की गोद में सर रख कर प्रेमालाप कर रहा है. थोड़ी देर बाद समुद्र से बचाओ, बचाओ की आवाज आई, सन्त ने देखा एक मनुष्य समुद्र में डूब रहा है, मगर स्वयं तैरना नहीं आने के कारण सन्त देखते रहने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे. स्त्री की गोद में सिर रख कर सोया हुआ व्यक्ति उठा और डूबने वाले को बचाने हेतु पानी में कूद गया. थोड़ी देर में उसने डूबने वाले को बचा लिया और किनारे ले आया. सन्त विचार में पड़ गए की इस व्यक्ति को बुरा कहें या भला. वो उसके पास गए और बोले भाई तुम कौन हो, और यहाँ क्या कर रहे हो...? उस व्यक्ति ने उत्तर दिया : — मैं एक मछुआरा हूँ मछली मारने का काम करता हूँ.आज कई दिनों बाद समुद्र से मछली पकड़ कर प्रात: जल्दी यहाँ लौटा हूँ. मेरी म

सुदामा और श्रीकृष्ण की माया

सुदामा ने एक बार श्रीकृष्ण ने पूछा कान्हा, प्रभु मैं आपकी माया के दर्शन करना चाहता हूं... कैसी होती है?" श्री कृष्ण ने टालना चाहा, लेकिन सुदामा की जिद पर श्री कृष्ण ने कहा, "अच्छा, कभी वक्त आएगा तो बताऊंगा|" और फिर एक दिन कहने लगे... सुदामा, आओ, गोमती में स्नान करने चलें| दोनों गोमती के तट पर गए| वस्त्र उतारे| दोनों नदी में उतरे... श्रीकृष्ण स्नान करके तट पर लौट आए| पीतांबर पहनने लगे... सुदामा ने देखा, कृष्ण तो तट पर चले गये है, मैं एक डुबकी और लगा लेता हूं... और जैसे ही सुदामा ने डुबकी लगाई... भगवान ने उसे अपनी माया का दर्शन कर दिया| सुदामा को लगा, गोमती में बाढ़ आ गई है, वह बहे जा रहे हैं, सुदामा जैसे-तैसे तक घाट के किनारे रुके| घाट पर चढ़े| घूमने लगे| घूमते-घूमते गांव के पास आए| वहां एक हथिनी ने उनके गले में फूल माला पहनाई| सुदामा हैरान हुए| लोग इकट्ठे हो गए| लोगों ने कहा, "हमारे देश के राजा की मृत्यु हो गई है| हमारा नियम है, राजा की मृत्यु के बाद हथिनी, जिस भी व्यक्ति के गले में माला पहना दे वही हमारा राजा होता है| हथिनी ने आपके गले में माला प