उडुपी और महाभारत का युद्ध
महाभारत अपने काल का सबसे बड़ा महायुद्ध था क्योंकि उस काल में शायद ही कोई ऐसा राज्य था जिसने इस युद्ध में भाग नहीं लिया। क्योकि इस युद्ध में भारत, अफगानिस्तान और ईरान तक के समस्त राजा कौरव अथवा पांडव के पक्ष में खड़े थे, किन्तु एक राज्य ऐसा था जो युद्ध क्षेत्र में होते हुए भी युद्ध से विरत था, वो था दक्षिण के उडुपी का राज्य। जब उडुपी के राजा युद्ध मे भाग लेने के लिए अपनी सेना सहित कुरुक्षेत्र पहुँचे तो कौरव और पांडव दोनों उन्हें अपनी ओर मिलाने का प्रयत्न करने लगे। उडुपी के राजा अत्यंत दूरदर्शी थे, उन्होंने श्रीकृष्ण से पूछा-हे माधव ! दोनों ओर से जिसे भी देखो युद्ध के लिए लालायित दिखता है किन्तु क्या किसी ने सोचा है कि दोनों ओर से उपस्थित इतनी विशाल सेना के भोजन का प्रबंध कैसे होगा...... ? इस पर श्रीकृष्ण ने कहा- महाराज ! आपने बिलकुल उचित सोचा है, आपके इस बात को छेड़ने पर मुझे प्रतीत होता है कि आपके पास इसकी कोई योजना है, अगर ऐसा है तो कृपया बताएं। इसपर उडुपी नरेश ने कहा- हे वासुदेव ! ये सत्य है। भाइयों के बीच हो रहे इस युद्ध को मैं उचित नहीं मानता इसी कारण इस युद्ध में भाग लेने की इच्छा मु