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गधे की फिक्र - चुटकुला

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बंद दुकान के बाहर बैठे दो बूढ़े आपस में बातें करते हुए हंस-हंस कर लोट-पोट हो रहे थे कि एक जिज्ञासु राहगीर ने उनसे इतना खुश होने की वजह पूछी...? एक बूढ़े ने बामुश्किल अपनी हंसी पर काबू पाते हुए कहा "हमारे पास इस देश की समस्याओं को हल करने की एक शानदार योजना है, और वह योजना यह है कि सारी प्रजा को जेल में डाल दिया जाए और उन सबके साथ एक गधा भी जेल में डाला जाए।" राहगीर ने हैरत से दोनों को देखा और पूछा "उन सबके साथ एक गधे को क्यों कैद किया जाए...? दोनों बूढ़े और ज़ोर-ज़ोर से हंसे, एक दूसरे को देखा और एक बूढ़े ने दूसरे से कहा "देखा रामु !! आ गया ना यकीन तुझे मेरी बात पर, मैं कहता था ना कि, जनता के बारे में कोई भी नहीं पूछेगा...! सब गधे की ही फ़िक्र करेंगे...!!😄🤣

500 और 50 का नोट - प्रेरक प्रसंग

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होटल पर बैठे एक शख्स ने दूसरे से कहा यह होटल पर काम करने वाला बच्चा इतना बेवकूफ है कि मैं पाँच सौ और पचास का नोट रखूंगा तो यह पचास का ही नोट उठाएगा। और साथ ही बच्चे को आवाज़ दी और दो नोट सामने रखते हुए बोला इन मे से ज़्यादा पैसों वाला नोट उठा लो, बच्चे ने पचास का नोट उठा लिया। दोनों ने क़हक़हे लगाए और बच्चा अपने काम मे लग गया पास बैठे शख्स ने उन दोनों के जाने के बाद बच्चे को बुलाया और पूछा तुम इतने बड़े हो गए तुम को पचास और पाँच सौ के नोट में फर्क नही पता। यह सुनकर बच्चा मुस्कुराया और बोला-- यह आदमी अक्सर किसी न किसी दोस्त को मेरी बेवक़ूफ़ी दिखाकर एन्जॉय करने के लिए यह काम करता है और मैं पचास का नोट उठा लेता हूँ, वह खुश हो जाते है और मुझे पचास रुपये मिल जाते है, जिस दिन मैंने पाँच सौ उठा लिया उस दिन यह खेल भी खत्म हो जाएगा और मेरी आमदनी भी। ज़िन्दगी भी इस खेल की ही तरह है हर जगह समझदार बनने की जरूरत नही होती, "जहां समझदार बनने से अपनी ही खुशियां मुतासिर होती हो वहां बेवक़ूफ़ बन जाना समझदारी है।"

महिलाओं ! आप मूल्यवान है | Girls or ladies ! you are worth less...

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Dear Girls यह आपके लिए है‼️💯 एक महिला एक दुकान में कपड़े पहनकर पहुंची, जिसमें उसका शरीर भी अच्छा दिख रहा था। दुकान के मालिक ने उसे अच्छी तरह से देखा, उसे बैठने के लिए कहा, सीधे उसकी आँखों में देखा और कुछ ऐसा कहा जिसे वह जीवन में कभी नहीं भूल पाएगी। "लेडी, इस दुनिया में भगवान ने जो कुछ भी मूल्यवान बनाया है, वह ढका हुआ है और देखने और खोजने में मुश्किल है।" उदाहरण के लिए: 1. आपको हीरे कहाँ मिल सकते हैं? • जमीन में, ढका और संरक्षित। 2. मोती कहाँ हैं? • समुद्र में गहरा, एक सुंदर खोल में ढका और संरक्षित। 3. आपको सोना कहां मिल सकता है? • जमीन के नीचे, चट्टान की परतों से ढका हुआ और वहां तक ​​पहुंचने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी और गहरी खुदाई करनी होगी। इतना कहकर, उसने फिर उसकी ओर देखा और कहा, "तुम्हारा शरीर पवित्र और अद्वितीय है।" आप सोने, हीरे और मोतियों से कहीं अधिक कीमती हैं, इसलिए आपको भी ढंकना चाहिए। और उन्होंने आगे कहा: "यदि आप अपने कीमती खनिजों जैसे सोना, हीरे और मोती को गहराई से ढक कर रखते हैं, तो आवश्यक मशीनों के साथ एक "प्रतिष्ठित खनन सं

वीर दुर्गादास #veerDurgadas

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मध्यकालीन भारत मे  इस्लामीकरण की आंधी को रोकने के लिए  कितना संघर्ष किया राठौड़ कुल के  वीर दुर्गादास राठौड़ जोधपुर ने -  इसका साक्ष्य तत्कालीन कवि द्वारा लिखा ये दोहाः आठ पहर चौसठ घड़ी घुड़ले उपर वास। सैल अणि सूं सैकतो बाटी दुर्गादास।  दोहे का भावार्थ  जानने पर रुंह कांप जाती है  कि कितना कठीन संघर्ष किया ओर सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है कि धन्य है मारवाड़ की धरा  जहा ऐसे धर्म रक्षक ने जन्म लिया ।  एक बार एक जाट बंधु  मेहरानगढ दुर्ग देखने गया ओर वहा के ताम झाम देखकर   एक दोहा कहा जो झकझोर देने वाला हैः ढबक ढबक ढौल बाजैं. दे दे ताल नगारा कीः आसा घर दुर्गो नी होवतो , तो सूनन्त होती सारा की।।  कहने का तात्पर्य  आज आप ढौल नगारे बजाकर खुशियां मना रहे है आसकरण पुत्र दुर्गादास नही होता तो  औरंगजेब की इस्लामिकरण की आंधी मे पुरा भारत मे इस्लाम होता उस वीर ने वो आंधी रोककर आपको हिन्दू रखा जो आज आप ढौल बजाकर अपन आप को धन् मान रहे है। औरगंजेब ने एक बार दुर्गादास से पुछा बोल तुझै क्या चाहिए जो चाहिए मांग  मै तुझे देता हू विरोध छोड़ ः वीरवर के मुख से निकला एक एक शब्द गौरवान्वित करने वाला हैः ख

बीरबल और अकबर की पहली मुलाकात | अकबर बीरबल की कहानी

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अकबर बीरबल की कहानी | बीरबल और अकबर की पहली मुलाकात किस्सा कुछ यों है: बादशाह अकबर ने पान की फरमाइश की। तुरंत शाही पान बनाने वाले कारीगर ने पान का बीड़ा बनाकर पेश किया। बादशाह ने जैसे ही पान खाया पान में चूना जरूरत से ज्यादा होने से मुंह मे तेज जलन हुई। अकबर ने पान बनाने वाले को कहा कि तुरंत एक सेर (किलो से कुछ कम मात्रा) चूना लेकर आये। तो बन्दा तुरंत किले से निकल कर बाज़ार में आया और एक पान बनाने वाले से जाकर कहा कि एक सेर चूना दे दो। वहीँ बीरबल भी पान खा रहे थे। उसे एक सेर चूना मांगते देखा तो पूछा भाई इतने ज़्यादा चूने का क्या करोगे तो बन्दे ने जवाब दिया कि शहनशाह का हुक्म है इसलिए ले जा रहा हूँ। बीरबल समझ गए कि क्या गड़बड़ हुई है। उसे कहा कि साथ मे एक सेर दही भी लेकर जाए। और अगर शाह उसे ये चूना खाने को कहे तो तुरंत खाये और पीछे से सारा दही पी ले। बन्दे को भी समझाया कि क्या माजरा है। अब जैसे ही बन्दा शाह के सामने पहुँचा बादशाह ने तुरंत हुक्म दिया कि सारा का सारा चूना उसे पिला दिया जाए। इतना चूना पीने से आदमी की मौत हो सकती है। परंतु बादशाह के हुक्म की तुरंत तामील की गई। जैसे ह

आयुर्वेद में वर्णित सोना बनाने की कला

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आयुर्वेद में वर्णित स्वर्ण (सोना) बनाने की कला  〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ वैदिक मंत्र से धातु उत्पादन शक्ति क्या आप जानते है भारत को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था ! भारत पर लगभग 1200 वर्षों तक मुग़ल, फ़्रांसिसी, डच, पुर्तगाली, अंग्रेज और यूरोप एशिया के कई देशों ने शासन किया एवं इस दौरान भारत से लगभग 30 हजार लाख टन सोना भी लूटा ! यदि यह कहा जाए कि आज सम्पूर्ण विश्व में जो स्वर्ण आधारित सम्रद्धि दिखाई दे रही है वह भारत से लुटे हुए सोने पर ही टिकी हुई है तो गलत न होगा ! यह एक बड़ा रहस्यमय सवाल है कि आदिकाल से मध्यकाल तक जब भारत में एक भी सोने की खान नहीं हुआ करती थी तब भी भारत में इतना सोना आता कहाँ से था ? सबसे रहस्यमय प्रश्न यह है कि आखिर भारत में इतना स्वर्ण आया कहाँ से ? इसका एकमात्र जवाब यह है कि भारत के अन्दर हमारे ऋषि मुनियों ने जो आयुर्वेद विकसित किया उसमे औषधिय उपचार के लिए स्वर्ण भस्म आदि बनाने के लिए वनस्पतियों द्वारा स्वर्ण बनाने की विद्या विकसित की थी !  आयुर्वेद में स्वर्ण बनाने की विधि  〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ पवित्र हिन्दू धर्म ग्रन्थ ऋग्वेद पर ही पूरे विश्व

उडुपी और महाभारत का युद्ध

महाभारत अपने काल का सबसे बड़ा महायुद्ध था क्योंकि उस काल में शायद ही कोई ऐसा राज्य था जिसने इस युद्ध में भाग नहीं लिया। क्योकि इस युद्ध में भारत, अफगानिस्तान और ईरान तक के समस्त राजा कौरव अथवा पांडव के पक्ष में खड़े थे, किन्तु एक राज्य ऐसा था जो युद्ध क्षेत्र में होते हुए भी युद्ध से विरत था, वो था दक्षिण के उडुपी का राज्य। जब उडुपी के राजा युद्ध मे भाग लेने के लिए अपनी सेना सहित कुरुक्षेत्र पहुँचे तो कौरव और पांडव दोनों उन्हें अपनी ओर मिलाने का प्रयत्न करने लगे। उडुपी के राजा अत्यंत दूरदर्शी थे, उन्होंने श्रीकृष्ण से पूछा-हे माधव ! दोनों ओर से जिसे भी देखो युद्ध के लिए लालायित दिखता है किन्तु क्या किसी ने सोचा है कि दोनों ओर से उपस्थित इतनी विशाल सेना के भोजन का प्रबंध कैसे होगा...... ? इस पर श्रीकृष्ण ने कहा- महाराज ! आपने बिलकुल उचित सोचा है, आपके इस बात को छेड़ने पर मुझे प्रतीत होता है कि आपके पास इसकी कोई योजना है, अगर ऐसा है तो कृपया बताएं। इसपर उडुपी नरेश ने कहा- हे वासुदेव ! ये सत्य है। भाइयों के बीच हो रहे इस युद्ध को मैं उचित नहीं मानता इसी कारण इस युद्ध में भाग लेने की इच्छा मु