मोदी की चिंता मत करो, अपनी और अपनी आने वाली पिढीयौ की चिंता करो,...
मोदी की चिंता मत करो, अपनी और अपनी आने वाली पिढीयौ की चिंता करो,,
ये आखिरी मौका है। फिर कोई नरेन्द्र मोदी जेसा हिंदुवादी शासक नहीं मिलेगा।
मन की हल्दीघाटी में, राणा के भाले डोले हैं,
यूँ लगता है चीख चीख कर, वीर शिवाजी बोले हैं,
पुरखों का बलिदान, घास की,
रोटी भी शर्मिंदा है,
कटी जंग में सांगा की,
बोटी बोटी शर्मिंदा है,
खुद अपनी पहचान मिटा दी,
कायर भूखे पेटों ने,
टोपी जालीदार पहन ली,
हिंदुओं के बेटों ने,
सिर पर लानत वाली छत से,
खुला ठिकाना अच्छा था,
टोपी गोल पहनने से तो,
फिर मर जाना अच्छा था,
मथुरा अवधपुरी घायल है,
काशी घिरी कराहों से,
यदुकुल गठबंधन कर बैठा,
कातिल नादिरशाहों से,
कुछ वोटों की खातिर लज्जा,
आई नही निठल्लों को,
कड़ा-कलावा और जनेऊ,
बेंच दिया कठमुल्लों को,
मुख से आह तलक न निकली,
धर्म ध्वजा के फटने पर,
कब तुमने आंसू छलकाए,
गौ माता के कटने पर,
लगता है पूरी आज़म की,
मन्नत होने वाली है,
हर हिन्दू की इस भारत में,
सुन्नत होने वाली है,
जागे नही अगर हम तो ये,
प्रश्न पीढियां पूछेंगी,
गन पकडे बेटे, बुर्के से,
लदी बेटियाँ पूछेंगी,
बोलेंगी हे आर्यपुत्र,
अंतिम उद्धार किया होता,
खतना करवाने से पहले
हमको मार दिया होता
सोते रहो सनातन वालों,
तुम सत्ता की गोदी में,
देखते रहो बस तुम,
गलतियाँ अपने मोदी में ll
पर साँस आखिरी तक भगवा की,
रक्षा हेतु लडूंगी मैं,
शीश कलम करवा लूँगी पर,
कलमा नही पढूंगी मैं|
सभी हिन्दुओ से प्रार्थना है की इस कविता को एक एक हिन्दू तक पहुँचा दीजिये।
ये आखिरी मौका है। फिर कोई नरेन्द्र मोदी जेसा हिंदुवादी शासक नहीं मिलेगा।
मन की हल्दीघाटी में, राणा के भाले डोले हैं,
यूँ लगता है चीख चीख कर, वीर शिवाजी बोले हैं,
पुरखों का बलिदान, घास की,
रोटी भी शर्मिंदा है,
कटी जंग में सांगा की,
बोटी बोटी शर्मिंदा है,
खुद अपनी पहचान मिटा दी,
कायर भूखे पेटों ने,
टोपी जालीदार पहन ली,
हिंदुओं के बेटों ने,
सिर पर लानत वाली छत से,
खुला ठिकाना अच्छा था,
टोपी गोल पहनने से तो,
फिर मर जाना अच्छा था,
मथुरा अवधपुरी घायल है,
काशी घिरी कराहों से,
यदुकुल गठबंधन कर बैठा,
कातिल नादिरशाहों से,
कुछ वोटों की खातिर लज्जा,
आई नही निठल्लों को,
कड़ा-कलावा और जनेऊ,
बेंच दिया कठमुल्लों को,
मुख से आह तलक न निकली,
धर्म ध्वजा के फटने पर,
कब तुमने आंसू छलकाए,
गौ माता के कटने पर,
लगता है पूरी आज़म की,
मन्नत होने वाली है,
हर हिन्दू की इस भारत में,
सुन्नत होने वाली है,
जागे नही अगर हम तो ये,
प्रश्न पीढियां पूछेंगी,
गन पकडे बेटे, बुर्के से,
लदी बेटियाँ पूछेंगी,
बोलेंगी हे आर्यपुत्र,
अंतिम उद्धार किया होता,
खतना करवाने से पहले
हमको मार दिया होता
सोते रहो सनातन वालों,
तुम सत्ता की गोदी में,
देखते रहो बस तुम,
गलतियाँ अपने मोदी में ll
पर साँस आखिरी तक भगवा की,
रक्षा हेतु लडूंगी मैं,
शीश कलम करवा लूँगी पर,
कलमा नही पढूंगी मैं|
सभी हिन्दुओ से प्रार्थना है की इस कविता को एक एक हिन्दू तक पहुँचा दीजिये।
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