भारत "हिटलर और मोदी" - प्रोपेगेंडा की असफल कहानी - विक्टिम नरेन्द्र मोदी
भारत "हिटलर और मोदी" -
प्रोपेगेंडा की असफल कहानी - विक्टिम नरेन्द्र मोदी
सन 2002 में हुए दंगो के बाद नरेद्र मोदी की छवि बहुत ही तेजी से ठीक वैसे ही प्रचरित की गयी जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हिटलर की छवि बिगाड़ी गयी ,
नरेद्र मोदी को मॉस मर्डरर की उपाधि दी गयी,हजारो पत्रिकाओ में लेख लिखे गये, सैकड़ो किताबो की खेप बाजार में आने लगी और जिनकी गिनती न की जा सकती वो है इलेक्ट्रोनिक मिडिया के शो ....
लेकिन किस्मत मोदी के साथ थी वो आने वाले समय में कभी असफल न हुए, वो लगातार ताकतवर होते गये और विरोधी कमजोर , इससे प्रोपेगेंडा की रफ्ता बढ़ने की बजाय धीमे होती गयी और आज उसी प्रोपेगेंडा का हथियार बनाकर वो पीएम बने और विश्व की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी के शासक है ।
अब सोचिये कि दंगो के बाद अगर मोदी सरकार चली जताई और कांग्रेस सरकार आ जाती तो आज मोदी गुजरात के किसी सरकारी भवन में मास मर्डरर का कलंक लिए जीवन गुजार रहे होते।
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