80 के दशक का बचपन

मै 80 के दशक का बचपन हूं...

मैंने एनर्जी के लिए रुहआफ्जा से लेकर ट्रॉपिकाना तक का सफर तय किया है,

माचिस की डब्बी वाले फोन से स्मार्टफोन तक का सफर तय किया है,
मै वो समय हूं जब तरबूज बहुत ही बड़ा और गोलाकार होता था पर अब लंबा और छोटा हो गया,

मैंने चाचा चौधरी से लेकर सपना चौधरी तक का सफर तय किया है,

मैंने बालों में सरसों के तेल से लेकर जैल तक का सफर तय किया है

चूल्हे की रोटी में लगी राख़ का भी स्वाद लिया है 

मैंने दूरदर्शन से लेकर 500 निजी चैनल तक का सफर तय किया है।

मैंने खट्टे मीठे बेरों से लेकर कीवी तक का सफर तय किया है।

संतरे की गोली से किंडर जोय तक का सफर तय किया है।

आज की पीढ़ी का दम तोड़ता हुआ बचपन में देख रहा हूं लेकिन आज की पीढ़ी मेरे समय के बचपन की कल्पना भी नहीं कर सकती।

मैंने ब्लैक एंड व्हाइट समय में रंगीन और गरीबी में बहुत अमीर बचपन जिया है।

मेरे बचपन के समय को कोटि कोटि धन्यवाद।

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