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Showing posts from April, 2021

जैसलमेर में 1966 के बाद नही हुआ लव जेहाद

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*जैसलमेर में 1966 के बाद सामने नही आया कोई भी लव जेहाद का ममल्स*                         जैसलमेर में एक ब्राह्मण ने ऐसे लव जिहादियों की गर्दन ऐसे उतरवाई की तब से आज तक वहां कोई लव जिहाद का केस नहीं आया   जैसलमेर जिले के मुस्लिम गाँव सनावाडा में 1966 में हुई एक घटना बतला रहा हूँ। *मुस्लिम बाहुल्य गाँव था सनावाड़ा ,जहाँ का सरपंच मुस्लिम था।* सरपंच का *पुत्र जोधपुर में पढाई कर रहा था। गर्मी के अवकाश में लड़का अपने गाँव आया हुआ* था।  *पास के गाँव के एकमात्र श्रीमाली ब्राह्मण परिवार की कन्या सरपंच के पुत्र को भा गई। पहले तो पिता ने पुत्र को समझाया। धर्म और मजहब में अंतर बताया किन्तु जब पुत्र जिद्द पर अड़ गया तो सरपंच 10 मुसलमानों को साथ लेकर ब्राह्मण के घर गया और कन्या का हाथ (बलपूर्वक) अपने पुत्र के लिए माँगा।* ब्राह्मण परिवार पर तो मानो ब्रजपात हो गया हो। किन्तु कुछ सोचकर ब्राह्मणदेव ने दो माह का समय माँगा। *दूसरे दिन हताश ब्राह्मणदेव पास के राजपूत गाँव में वहां के ठाकुर के निवास पर गये , और निव...

कलाई पर बंधा धागा और लड़के

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कलाई पर बंधे धागे का रंग उड़ गया है। उसके रेशे अब मेरी घड़ी में फंसकर टूटने लगे हैं। मंदिर वाले जोगी ने बताया था कि रक्षासूत्र या कलाई में बांधे गए धागों को पुराना होने पर तोड़ देना चाहिए, पर मैं अबतक न जाने क्यों रुका हूं।  मुझे धागे को बांध कर रखने के लिए किसी ने नही कहा। उस लड़की ने भी नही जिसने इन सूत के धागों को नम आंखों से मेरी कलाई पर ये कहते हुए बांधा था कि वो वापस आ जाएगी धागों के टूटने से पहले। मैं अक्सर ही लड़कों को सिगरेट पीते हुए देखता हूँ। उंगलियों में फंसी सिगरेट जबतक मुह को आती है, उनके शर्ट की आस्तीन थोड़ा नीचे खिसक कर उनकी कलाई में बंधे बेरंग धागे और कटने निशान साफ जाहिर कर देती है। मुस्कुराते हुए चेहरे पर मुर्दों जैसी आंखें रखने वाले लड़कों को पता है, समाज उनसे उम्मीदें रखता है, और मां-बाप, प्रेमिका, दोस्त, सब इसी समाज के हिस्से हैं। लड़कों की उम्मीदें उनकी प्रेयसी तोड़ देती है, और लड़कों के मन को समाज। टूटे हुए लड़के, खुद को समेट कर किसी एकांत में जा कर जब चैन से सिगरेट जलाते हैं, तब उनकी आस्तीन थोड़ा नीचे खिसक कर, उनकी कलाई पर बंधा हुआ धागा, और कटने के निशान ज़ा...