L13 - जंगल की वो तस्वीर
जंगल की वो तस्वीर
(स्थान: स्पोकेन, वॉशिंगटन | समय: जुलाई 1968)
स्पोकेन की गलियों में वो जुलाई की सुबह आम नहीं थी। शहर के एक पुराने नोटिस बोर्ड पर कुछ लोगों की नजर एक अजीब तस्वीर पर पड़ी।
तस्वीर में एक लड़की थी सांवला चेहरा, बड़ी-बड़ी डरी हुई आँखें और उसके चारों ओर लकड़ी के तख्तों का ताबूत जैसा घेरा। जैसे वो ज़िंदा होकर भी दफन थी।
तस्वीर के नीचे एक चिट लगी थी-
"मैं जंगल में दफन हूं, तुम्हारे पास मुझे खोजने के लिए केवल 5 दिन हैं।"
लोग हँसे। कुछ ने सोचा यह कोई हॉरर फिल्म का प्रचार है, कुछ ने इसे किसी पागल का मज़ाक समझा।
तस्वीर वहीं लगी रही, और समय बीतता गया।
दूसरे दिन स्थानीय अख़बार में एक छोटी सी खबर छपी-
"किम बर्ड, 25 वर्षीय स्कूल शिक्षिका,
दो दिन पहले रहस्यमयी ढंग से लापता हुई हैं।
पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला है।"
सारा, जो किम के साथ उसी स्कूल में पढ़ाती थी, बाजार से लौटते समय उस नोटिस बोर्ड के पास से गुज़री।
उसकी नज़र अचानक उस तस्वीर पर पड़ी और उसका चेहरा सफेद पड़ गया।
"ये तो किम है!"
उसने भागते हुए पास के पुलिस स्टेशन का रुख किया।
तीसरे दिन पुलिस ने तस्वीर जब्त कर ली, लेकिन वह तस्वीर किसी खास जगह की जानकारी नहीं दे रही थी।
सिर्फ एक लड़की ताबूत में, और पीछे घना जंगल। कोई चेहरा, कोई नाम, कोई जगह नहीं।
जांच अंधेरे में थी।
दिन 4
ब्रैड, किम का पुराना दोस्त और स्कूल का प्यार शहर लौटा था।
वो कई वर्षों से कहीं और रह रहा था, लेकिन काम के सिलसिले में अचानक स्पोकेन आना पड़ा।
होटल के पास के उसी नोटिस बोर्ड से गुजरते हुए उसकी नजर उस तस्वीर पर पड़ी।
पहले वो चौंका। फिर तस्वीर को करीब से देखने लगा।
कई बार देखी... कुछ तो जाना-पहचाना लग रहा था।
तब उसने गौर किया कि तस्वीर में लड़की के सिर के पास लकड़ी पर कुछ उभरे अक्षर थे। ध्यान से देखने पर वो दिखाई दिए-
"K i m + B r a d"
ब्रैड सन्न रह गया। ये वही शब्द थे, जो उन्होंने हाई स्कूल के दिनों में जंगल के एक पेड़ की छाल पर खुदे थे।
उनकी दोस्ती और मोहब्बत की छोटी-सी याद।
उसने बिना देर किए पुलिस को इसकी जानकारी दी।
दिन 5
ब्रैड ने पुलिस को बताया कि वो और किम अक्सर शहर के बाहर "लिटिल पाइन फॉरेस्ट" नाम के एक जंगल में जाया करते थे। वही जंगल शायद तस्वीर में था।
पुलिस टीम और ब्रैड जंगल में पहुँचे। सूरज ढलने ही वाला था।
बहुत ढूंढने के बाद एक जगह उन्हें मिट्टी हिली हुई दिखी जहाँ हाल ही में खुदाई के निशान थे। आसपास पत्तियाँ फैली थीं, और एक तरफ एक पेड़ की छाल पर वही शब्द खुदे थे-
"Kim + Brad"
पुलिस ने तुरंत खुदाई शुरू की।
थोड़ी ही देर में एक लकड़ी का ताबूत बाहर निकला।
सांसें थम गईं।
जब ताबूत खोला गया, तो उसके भीतर किम थी, ज़िंदा, मगर बेहोश।
उसके चेहरे पर मिट्टी लगी थी, सांसें धीमी थीं, लेकिन धड़कनें अब भी थीं।
किम को बचा लिया गया।
अगर कुछ घंटे और बीत जाते तो शायद बहुत देर हो चुकी होती।
इसके बाद…
किम को तो बचा लिया गया, मगर सवाल बाकी रह गए।
उसे किसने अगवा किया?
कैसे उस ताबूत में बंद किया गया?
ब्रैड को वो तस्वीर कैसे दिखाई दी, और क्यों उसी वक्त वो शहर आया?
किम को कुछ याद नहीं था — बस अंधेरा, एक अजनबी की आवाज, और फिर सन्नाटा।
पुलिस ने सालों तक जांच की। मगर ना कोई गवाह मिला, ना कोई सबूत। तस्वीर किसने लगाई? वो अपहरणकर्ता कौन थे? सब रहस्य ही रह गया।
आज भी…
स्पोकेन की पुरानी गलियों में अगर कोई पूछे-
“क्या तुमने जंगल की वो तस्वीर देखी है?”
तो लोग चुप हो जाते हैं।
क्योंकि वो सिर्फ एक तस्वीर नहीं थी…
वो एक कहानी थी डर की, प्यार की, और शायद... किस्मत की।
किम की आंखें जब अस्पताल के सफेद बिस्तर पर खुलीं, तो सबसे पहला चेहरा जो उसने देखा वो ब्रैड का था।
उसकी आंखों में नमी थी। लेकिन किम की आंखों में सिर्फ खालीपन।
“किम… तुम ठीक हो?”
वो कुछ कहना चाहती थी, लेकिन जैसे गला सूख गया हो। बस धीमे से सिर हिलाया। डॉक्टर ने बताया कि वो शारीरिक रूप से सुरक्षित है, लेकिन मानसिक आघात गहरा है।
पुलिस ने कई बार उससे सवाल पूछे, लेकिन हर बार वो चुप हो जाती।
उसे याद ही नहीं था कि कैसे अगवा हुई, कौन थे वो लोग, और कैसे वहां पहुंची।
ब्रैड वापस सिएटल लौटने वाला था, लेकिन कुछ अधूरा लग रहा था।
उस तस्वीर ने, उस जंगल ने, और किम की चुप्पी ने उसे अंदर से झकझोर दिया था।
वो खुद सवालों का जवाब चाहता था।
कैसे हुआ ये सब?
और क्यूं?
वो एक बार फिर पुलिस स्टेशन गया, जहाँ उसे उस असली तस्वीर की कॉपी दी गई जिसके पीछे लिखा था-
"मैं जंगल में दफन हूं, तुम्हारे पास मुझे खोजने के लिए केवल 5 दिन हैं।"
उसने तस्वीर को फिर से गौर से देखा।
इस बार उसे कुछ और दिखा।
ताबूत के एक कोने में बहुत हल्के से उभरा था एक निशान- L-13
“ये क्या हो सकता है?”
ब्रैड ने लाइब्रेरी और पुराने रिकॉर्ड खंगालने शुरू किए। कुछ ही दिनों में उसे पता चला कि “L-13” एक पुराना केबिन नंबर था जो ग्रीन लेक लॉज नाम की एक बंद हो चुकी टूरिस्ट जगह में था, जो कभी 1950 के दशक में खूब मशहूर थी।
अब वो जगह वीरान थी।
ब्रैड पुलिस के साथ वहां पहुँचा। लॉज की इमारतें जर्जर थीं, खिड़कियाँ टूटी हुईं।
लेकिन L-13 के केबिन में जाने पर उन्हें दीवारों पर कुछ पुराने नोट्स, तस्वीरें और एक बोर्ड मिला।
बोर्ड पर लिखा था-
"वो लड़की स्कूल में सबसे समझदार बनती थी... अब वही सबसे लंबी परीक्षा देगी।"
किसी ने यह सब महीनों पहले लिखा था। वहाँ एक अखबार की कटिंग भी मिली जिसमें किम की स्कूल में टॉपर बनने की खबर छपी थी।
अब यह मामला निजी लगने लगा।
किम की यादें लौटती हैं
उसी रात किम ने सपने में एक चेहरा देखा,
धुंधला, लेकिन जाना-पहचाना।
और फिर एक नाम फुसफुसाया- “जॉनी…”
अगले दिन उसने ब्रैड को बताया।
ब्रैड चौंक गया।
“जॉनी? जॉनी थॉम्पसन?”
वो उनका क्लासमेट था, थोड़ा अजीब, अकेला, जिसे कोई ज़्यादा महत्व नहीं देता था।
अक्सर उसे मज़ाक का पात्र बनाया जाता था। किम ने भी एक बार स्कूल असेंबली में उसके खिलाफ बात की थी...
वो उसे भूल गई थी, लेकिन शायद जॉनी नहीं भूला था।
पुलिस ने जॉनी थॉम्पसन के पुराने पते पर जाकर देखा वो अब इस दुनिया में नहीं था।
लेकिन उसकी डायरी, जो पुलिस को मिली, उसमें लिखा था-
“कभी न भूलने वाला मज़ाक…
उन्हें दिखाऊंगा डर का मतलब।”
किम और ब्रैड की तस्वीरें, स्कूल के पुराने नोट्स, और "L-13" के नक्शे उस डायरी में थे।
जॉनी ने अपने जीवन के आखिरी वर्षों में अकेलेपन और मानसिक तनाव में वो योजना बनाई थी।
वो नहीं चाहता था कि किम मरे, वो सिर्फ उसे “समझाना” चाहता था कि डर कैसा लगता है।
लेकिन उसे नहीं पता था कि वह खुद ज्यादा दिन ज़िंदा नहीं रहेगा।
उसके मरने के कुछ महीने बाद उसके दो चचेरे भाई उसके नोट्स पर चले और उसी योजना को सच कर दिया।
किम धीरे-धीरे सामान्य जीवन में लौटने लगी। लेकिन अब उसकी आंखों में एक साया था, जो कभी नहीं मिटेगा।
ब्रैड ने अपना शहर नहीं छोड़ा।
वो वहीं रहा,
किम के पास, हमेशा।
कभी-कभी डर सिर्फ एक याद नहीं होता, वो लौट भी सकता है…
और कभी-कभी एक तस्वीर से एक ज़िंदगी बदल जाती है।
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