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वहशी लोग

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'मुरी' नाम का पर्वतीय शहर है पाकिस्तान में, इस्लामाबाद से करीब साठ किलोमीटर दूर .... लोग अक्सर वहाँ जाते हैं गर्मियों में, और तब भी, जब पहली - पहली बर्फ पडनी है सर्दियों में ... जैसे हिन्दुस्तान में मसूरी है, कुछ - कुछ वैसा ही है पाकिस्तान का ये 'मुरी' शहर ....        अभी कुछ दिनों पहले पाकिस्तानी नागरिकों का एक दल अपनी - अपनी मोटर-गाडियों पे निकला था मुरी के लिए, पहली - पहली बर्फ-बारी का मजा लेने के लिए .... हँसी - खुशी का माहौल था, vacation पर जाने में परिवारों का अच्छा लगता है हर जगह ...       पर ये क्या हुआ ?? .... बीच रास्ते में ही थे, तब मौसम अचानक खराब होने लगा .... पहले तो हल्की हल्की बर्फ गिर रही थी, फिर धीरे - धीरे वो ओला-वृष्टि, बर्फबारी में बदल गई ... बर्फीले तूफान, Blizard नें रास्ते को घेर लिया .... सडक पे गाडियां चलाना मुश्किल हो गया ....          गाडियों का काफिला रुक गया … सडक पे बर्फ की परतें जमा होने लगी .... लोगों नें इंतजार किया कि तूफान का जोर कम हो जाए, पर जब मौसम बदलने के कोई आसार दिखाई ...

लीलावती कौन थी ? | lilavati kon thi

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गणितज्ञ #लीलावती का नाम हममें से अधिकांश लोगों ने नहीं सुना है। उनके बारे में कहा जाता है कि वो पेड़ के पत्ते तक गिन लेती थी। शायद ही कोई जानता हो कि आज यूरोप सहित विश्व के सैंकड़ो देश जिस गणित की पुस्तक से गणित को पढ़ा रहे हैं, उसकी रचयिता भारत की एक महान गणितज्ञ महर्षि भास्कराचार्य की पुत्री लीलावती है। आज गणितज्ञो को गणित के प्रचार और प्रसार के क्षेत्र में लीलावती #पुरूस्कार से सम्मानित किया जाता है। आइए जानते हैं महान गणितज्ञ लीलावती के बारे में जिनके नाम से गणित को पहचाना जाता था। दसवीं सदी की बात है, दक्षिण भारत में #भास्कराचार्य नामक गणित और ज्योतिष विद्या के एक बहुत बड़े पंडित थे। उनकी कन्या का नाम लीलावती था। वही उनकी एकमात्र संतान थी। उन्होंने ज्यो‍तिष की गणना से जान लिया कि ‘वह विवाह के थोड़े दिनों के ही बाद विधवा हो जाएगी।’ उन्होंने बहुत कुछ सोचने के बाद ऐसा लग्न खोज निकाला, जिसमें विवाह होने पर कन्या विधवा न हो। विवाह की तिथि निश्चित हो गई। जलघड़ी से ही समय देखने का काम लिया जाता था। एक बड़े कटोरे में छोटा-सा छेद कर पानी के घड़े में छोड़ दिया जाता था। सूराख के ...

ताजमहल की बेंच अभिशप्त है !!

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क्या सचमुच ताजमहल के सामने की बेंच मनहूस है..??? 💐💐💐💐💐💐 मैं सोच रहा था कि आखिर टीना डाबी का अतहर के  साथ तलाक की नौबत क्यों आई ? फिर मुझे कहीं एक तस्वीर नजर आ गई जिसमें टीना और अतहर ताजमहल के सामने उस अभिशप्त बेंच पर बैठकर फोटो खींचे हैं । अब आप इतिहास जानिए कि इस अभिशप्त बेंच पर जितने प्रसिद्ध कपल बैठ कर फोटो खींच आए और इस अभिशप्त बेंच ने सिर्फ 1 महीने में अपना असर दिखा दिया.. व्लादिमीर पुतिन - सन 2000 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पत्नी ल्यूडमिला के साथ ताजमहल देखने पहुंचे थे। कुछ समय बाद दोनों का तलाक हो गया। प्रिंसेस डायना - 1992 में ब्रिटिश राजकुमारी डायना भी ताजमहल देखने पहुंची थीं। दस महीने बाद ही डायना और चार्ल्स का तलाक हो गया । टॉम क्रूज - 2011 में टॉम क्रूज फिल्म ‘मिशन इम्पॉसिबल: घोस्ट प्रोटोकॉल’ के वर्ल्ड प्रीमियर से पहले भारत पहुंचे थे और ताजमहल के सामने फोटो भी खिंचवाई थी। यहाँँ से लौटने के बाद 2012 में टॉम क्रूज का उनकी पत्नी कैटी होम्स से तलाक हो गया था । रसेल ब्रांड -कैटी पेरी: 2009 (दिसंबर) में हॉलीबुड एक्टर रसेल ब्रांड ताजमहल...

संस्कृति कैसे समाप्त होती है ???

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कोई संस्कृति समाप्त करनी है तो उससे उनके त्यौहार छीन लो। और यदि कोई त्यौहार समाप्त करना है तो उससे बच्चों का रोमांच गायब कर दो। कितना महीन षड्यंत्र है? कितना साफ और दीर्घकालिक जाल बुना जाता है? समझिए दीपावली पर पटाखे बैन के षड्यंत्र की कहानी.. पंच मक्कार(मीडिया, मार्क्सवादी, मिचनरीज, मुलाना, मैकाले) किस तरह से सुनियोजित कार्य करते है आप इस लेख के माध्यम से जान पाएंगे. किस तरह इकोसिस्टम बड़ा लक्ष्य लेकर चलता है वो आप जान पाएंगे. वे किस तरह 10, 20 साल की योजना बनाकर स्टेप बाई स्टेप नरेटिव सेट कर शनैःशनैः वार कर किले को ढहा देते है ये आप जानेंगे. जिसमें वे आपको ही अपनी सेना बनाकर अपना कार्य करते है और आपको पता भी नही चलता. पटाखो पर बैन की कहानी 2001 से शुरू होती है. जब एक याचिका में SC ने सुझाव दिया कि पटाखे केवल शाम 6 से 10 बजे तक मात्र चार घण्टे के लिए फोड़े जाए. साथ ही इसको लेकर जागरूकता फैलाने के लिए स्कूलों में बच्चों को बताया जाए. ये केवल एक सुझाव वाला निर्णय था ना कि पटाखे फोड़ने पर आपराधिक निर्णय. ध्यान रहे सुझाव केवल दीपावली पर ही था क्रिसमस और हैप्पी न्यूएर पर फैसले से ...

पढिये "चनों" की रहस्यमयी सच्चाई

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मेरे मन में सुदामा के सम्बन्ध में एक बड़ी शंका थी कि एक विद्वान् ब्राह्मण जो जीवन भर कष्ट भोगता रहा अपने बाल सखा कृष्ण से छुपाकर चने कैसे खा सकता है ..?_ आज एक भुदेव् की कृपा से ज्ञात हुआ तो सोचा आप सबका भी ज्ञान वर्धन करूँ इसके पीछे की कथा बताकर... बताते हैं सुदामा की दरिद्रता, और चने की चोरी के पीछे एक बहुत ही रोचक और त्याग-पूर्ण कथा है- एक अत्यंत गरीब निर्धन बुढ़िया भिक्षा माँग कर जीवन यापन करती थी। एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिक्षा नही मिली वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी। छठवें दिन उसे भिक्षा में दो मुट्ठी चने मिले। कुटिया पे पहुँचते-पहुँचते उसे रात हो गयी। बुढ़िया ने सोंचा अब ये चने रात मे नही, प्रात:काल वासुदेव को भोग लगाकर खाऊँगी । यह सोंचकर उसने चनों को कपडे में बाँधकर रख दिए और वासुदेव का नाम जपते-जपते सो गयी। बुढ़िया के सोने के बाद कुछ चोर चोरी करने के लिए उसकी कुटिया मे आ गये। चोरों ने चनों की पोटली देख कर समझा इसमे सोने के सिक्के हैं अतः उसे उठा लिया। चोरो की आहट सुनकर बुढ़िया जाग गयी और शोर मचाने लगी। शोर-शराबा सुनकर गाँव के सारे लोग चोरो...

देववाणी संस्कृत

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#विश्व_की_सबसे_ज्यादा_समृद्ध_भाषा_कौन_सी_है ?  अंग्रेजी में 'THE QUICK BROWN FOX JUMPS OVER A LAZY DOG' एक प्रसिद्ध वाक्य है। जिसमें अंग्रेजी वर्णमाला के सभी अक्षर समाहित कर लिए गए हैं। मज़ेदार बात यह है की अंग्रेज़ी वर्णमाला में कुल 26 अक्षर ही उप्लब्ध हैं जबकि इस वाक्य में 33 अक्षरों का प्रयोग किया गया है। जिसमें चार बार O और A, E, U तथा R अक्षर का प्रयोग क्रमशः 2 बार किया गया है। इसके अलावा इस वाक्य में अक्षरों का क्रम भी सही नहीं है। जहां वाक्य T से शुरु होता है वहीं G से खत्म हो रहा है।  अब ज़रा संस्कृत के इस श्लोक को पढिये।- *क:खगीघाङ्चिच्छौजाझाञ्ज्ञोSटौठीडढण:।* *तथोदधीन पफर्बाभीर्मयोSरिल्वाशिषां सह।।*  अर्थात: पक्षियों का प्रेम, शुद्ध बुद्धि का, दूसरे का बल अपहरण करने में पारंगत, शत्रु-संहारकों में अग्रणी, मन से निश्चल तथा निडर और महासागर का सर्जन करनार कौन ?? राजा मय ! जिसको शत्रुओं के भी आशीर्वाद मिले हैं। श्लोक को ध्यान से पढ़ने पर आप पाते हैं की संस्कृत वर्णमाला के सभी 33 व्यंजन इस श्लोक में दिखाई दे रहे हैं वो भी क्रमानुसार। यह खूबसूरती केवल और केवल सं...

Einstein से पहले का अनदेखा अंजाना सच

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एक ऐसी चीज जिससे आप अब तक अनजान थे एक ऐसा सच जिसे ना कभी देखा ना कभी सुना गया...! रात्रि के अंतिम प्रहर में एक बुझी हुई चिता की भस्म पर अघोरी ने जैसे ही आसन लगाया, एक प्रेत ने उसकी गर्दन जकड़ ली और बोला- मैं जीवन भर विज्ञान का छात्र रहा और जीवन के उत्तरार्ध में तुम्हारे पुराणों की विचित्र कथाएं पढ़कर भ्रमित होता रहा। यदि तुम मुझे पौराणिक कथाओं की सार्थकता नहीं समझा सके तो मैं तुम्हे भी इसी भस्म में मिला दूंगा। अघोरी बोला- एक कथा सुनो, रैवतक राजा की पुत्री का नाम रेवती था। वह सामान्य कद के पुरुषों से बहुत लंबी थी, राजा उसके विवाह योग्य वर खोजकर थक गये और चिंतित रहने लगे। थक-हारकर वो योगबल के द्वारा पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक गए। राजा जब वहां पहुंचे तब गन्धर्वों का गायन समारोह चल रहा था, राजा ने गायन समाप्त होने की प्रतीक्षा की। गायन समाप्ति के उपरांत ब्रह्मदेव ने राजा को देखा और पूछा- कहो, कैसे आना हुआ? राजा ने कहा- मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने बनाया अथवा नहीं? ब्रह्मा जोर से हंसे और बोले- जब तुम आये तबतक तो नहीं, पर जिस कालावधि में तुमने यहाँ गन्धर्वगान सुना उतनी ही अवधि में पृथ्वी...