वहशी लोग

'मुरी' नाम का पर्वतीय शहर है पाकिस्तान में, इस्लामाबाद से करीब साठ किलोमीटर दूर .... लोग अक्सर वहाँ जाते हैं गर्मियों में, और तब भी, जब पहली - पहली बर्फ पडनी है सर्दियों में ... जैसे हिन्दुस्तान में मसूरी है, कुछ - कुछ वैसा ही है पाकिस्तान का ये 'मुरी' शहर .... 

      अभी कुछ दिनों पहले पाकिस्तानी नागरिकों का एक दल अपनी - अपनी मोटर-गाडियों पे निकला था मुरी के लिए, पहली - पहली बर्फ-बारी का मजा लेने के लिए .... हँसी - खुशी का माहौल था, vacation पर जाने में परिवारों का अच्छा लगता है हर जगह ... 


     पर ये क्या हुआ ?? .... बीच रास्ते में ही थे, तब मौसम अचानक खराब होने लगा .... पहले तो हल्की हल्की बर्फ गिर रही थी, फिर धीरे - धीरे वो ओला-वृष्टि, बर्फबारी में बदल गई ... बर्फीले तूफान, Blizard नें रास्ते को घेर लिया .... सडक पे गाडियां चलाना मुश्किल हो गया .... 

        गाडियों का काफिला रुक गया … सडक पे बर्फ की परतें जमा होने लगी .... लोगों नें इंतजार किया कि तूफान का जोर कम हो जाए, पर जब मौसम बदलने के कोई आसार दिखाई न पडे, तो लोगों नें धीरे - धीरे उस बर्फ से ढकी हुई रोड पर ही गाडी ड़ाईव करनी शुरु की -- आखिर इस तरह इस बर्फीले तूफान में कब तक बैठे रहते ?? ... 

       पर आगे वाले गाँव पर पहुँच कर सारी गाडियां रुक गई -- क्यों ?? ... उन लोगों नें देखा कि सामने सडक पे ढाई से तीन फीट तक की बर्फ जम गई है सडक पे !!!!! ... आश्चर्यचकित रह गए लोग !!! ... अभी तक तो सिर्फ आठ - दस इंच की बर्फ थी सडक पे, अचानक से ये ढाई - तीन फीट की कैसे हो गई ?? ... माजरा क्या है ?? ... 

       फिर सारा खेल समझ में आया उनको .... उस गाँव के लोगों ने अपने घरो से बेलचा लाकर आस-पास की सारी बर्फ खोद - खोद के सडक पे डाल दी थी !!! ... उनके ट़ैक्टर सडक के किनारे लगे हुए थे .... क्या चाहते थे गाँववाले ?? ... 

      'सडक बंद है बर्फ की वजह से ... गाडियां अपने - आप नहीं जा सकती ... हम अपने ट़ेक्टर से आपकी गाडी खींच के पार करा देंगे , फीस दस हजार रुपये प्रति गाडी !!!! .... ' ... 

       गाँववालों की आँखों में एक वहशी मुस्कान तैर रही थी .... सन्न रह गए लोग !!! .. क्या करें लोग ?? .. 

        कुछ लोगों नें अपनी गाडियां लॉक कीं, और पैदल निकल गए आगे, ये सोच के कि आगे वाले कस्बे में होटल में कमरा ले के वहीं रुक जाते हैं, बाद में गाडियां मंगा लेंगे और आगे निकल जायेंगे .... पर वो क्या जानते थे कि आगे क्या होने वाला है ?? ... होटल वालों नें कहा कि कमरें खाली भी हैं ओर दे भी देंगे -- पर एक रात की कीमत होगी 'साठ हजार रुपये !!!!!!' .... उनके चेहरे पर भी वैसी ही वहशी हँसी तैर रही थी !!!! ....

        उल्टे पाँव लौट गए लोग .... ये तय किया कि अब गाडी के अंदर ही रात गुजारते हैं, आखिर तूफान कब तक चलेगा ?? .. सोशल मीडिया फोन इत्यादि से जिला प्रशासन और इस्लामाबाद के अधिकारियों को बता चुके थे वो लोग, अपने रिशतेदारों दोस्तों को भी खबर भेज चुके थे ... उन्हें उम्मीद थी कि सरकार द्वारा कुछ मदद तो आती ही होगी .... 

       गाँववालों से कुछ गरम कपडे माँगे उन लोगों नें, पर गाँववाले तो खार खाए बैठे थे, उन्होंने साफ इंकार कर दिया .... लोग अफनी - अपनी गाडियों में अपने परिवार के साथ बैठ गए, और भगवान से, नहीं, अल्लाह से दुआ करने लगे कि तूफान जल्दी थम जाए, और वो लोग सकुशल अपने घरों तक वापस पहुँच सकें .... 

      अफसोस, अल्लाह नें एक नहीं सुनी उनकी ... रात भर बर्फीला तूफान चलता रहा, पारा काफी नीचे गिर गया रात में, ठंड बर्दाश्त के बाहर थी, और अगले दिन जब सरकारी बुलडोजर बर्फ हटाने के लिए वहाँ पहुँचा, तब तक बाईस लोग मर चुके थे !!!!!!! .... और उसमें से दस बच्चे थे, पाँच से दस साल तक ..... 

     ये है 'ईमान वालों' का ईमान !!!! ..... गाँववाले भी मुसलमान थे, और गाडियों वाले भी मुसलमान थे -- दोनों तरफ 'मुसल्लम ईमान' वाले कलमा पढे हुए लोग ही थे , कोई काफिर नहीं था वहाँ !!!! .... 

       अपने काम के सिलसिले में  उत्तर बिहार के सुदूर ग़ामीण इलाकों में घूमा हूँ मैं  .... कभी गाडी खराब हो जाती थी, तो अजनबी लोग इकट्ठा हो जाते थे मदद करने के लिए -- धक्का लगाने से लेकर JCB बुलाने तक -- और कुछ कर लो, पैसा कोई लेता ही नहीं था !!!!!!! .... 'अतिथि देवो भव' -- एक अनपढ हिन्दू के मन में भी ये भाव कूट - कूट के भरा हुआ है !!!!

        कैसे कोई रह सकता है ऐसे 'आसुरी परिवेश' में ??? .... कैसे कोई तरक्की हो सकती है ऐसी मनःस्थिति वाले इलाके में ??? ....  कोई जी कैसे सकता है ऐसे मृत्य, पाशविक देश में ?? ... 

   इसला-म साक्षात नरक, नहीं, साक्षात जहन्नुम है ..... मनुष्य को पशु बनाने की मशीन है।

Comments

Popular posts from this blog

Narrative Building | Narrative kaise banaye jate hai | नैरेटिव कैसे गढ़े जाते हैं

औरत के गीले बाल और लोकतंत्र...