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Showing posts from December, 2020

भारत "हिटलर और मोदी" - प्रोपेगेंडा की असफल कहानी - विक्टिम नरेन्द्र मोदी

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भारत "हिटलर और मोदी" -  प्रोपेगेंडा की असफल कहानी - विक्टिम नरेन्द्र मोदी सन 2002 में हुए दंगो के बाद नरेद्र मोदी की छवि बहुत ही तेजी से ठीक वैसे ही प्रचरित की गयी जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हिटलर की छवि बिगाड़ी गयी ,  नरेद्र मोदी को मॉस मर्डरर की उपाधि दी गयी,हजारो पत्रिकाओ में लेख लिखे गये, सैकड़ो किताबो की खेप बाजार में आने लगी और जिनकी गिनती न की जा सकती वो है इलेक्ट्रोनिक मिडिया के शो .... लेकिन किस्मत मोदी के साथ थी वो आने वाले समय में कभी असफल न हुए, वो लगातार ताकतवर होते गये और विरोधी कमजोर , इससे प्रोपेगेंडा की रफ्ता बढ़ने की बजाय धीमे होती गयी और आज उसी प्रोपेगेंडा का हथियार बनाकर वो पीएम बने और विश्व की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी के शासक है । अब सोचिये कि दंगो के बाद अगर मोदी सरकार चली जताई और कांग्रेस सरकार आ जाती तो आज मोदी गुजरात के किसी सरकारी भवन में मास मर्डरर का कलंक लिए जीवन गुजार रहे होते।

झूठ के प्रोपेगेंडा के सबसे सफल कहानी -विक्टिम -हिटलर

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झूठ के प्रोपेगेंडा के सबसे सफल कहानी - विक्टिम -हिटलर  हिटलर भविष्य न देख पाया की आने वाले समय में उसकी कहानियाँ उसके समर्थक नहीं विरोधी पूरी दुनिया को सुनायेंगे ... हिटलर अगर जीत जाता तो आज हिटलार के स्थान पर होता ब्रिटेन का कातिल राजवंश आंकड़ो के हिसाब से प्रथम विश्वयुद्ध में 20 लाख सैनिक मारे गये,और बंगाल के अकाल में 20 लाख लोग भुखमरी और बीमारियों से मारे गये क्युकी ब्रिटिश सेना ने सारे रसद को अपने सैनिको को भेजना जरूरी समझा  अमेरिका ब्रिटेन जिनसे हिटलर ने लड़ाई लड़ी आगे जाकर उन्होंने ही उसकी कहानी सुनाई और शुरुआत हुई झूठ के प्रोपेगेंडा के सबसे सफल कहानी

लड़के कुत्ते होते है !!!

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लड़कों का रोना शुभ नहीं होता है, नहीं, ऐसी मान्यताएं नहीं हैं, पर मुझे लगता है कि लड़कों का रोना अशुभ होता है..मैं जब किसी लड़के को रोते हुए देखता हूँ तो बस यही याद करता हूँ कि मैं आख़िरी बार कब रोया था.. पुरुष रोता नहीं है पर जब वो रोता है, रोम-रोम से रोता है उसकी व्यथा पत्थर में दरार कर सकती है। - हरिशंकर परसाई   लड़के फ़ैल होने पर नहीं रोते, लड़के भूखे रह लेंगे सप्ताह की 4 रातें लेकिन नहीं रोते, लड़के नहीं रोते हैं जब उनके पास महीने के अंतिम दिनों में सुबह की चाय पीने के पैसे नहीं होते हैं, लड़के बाप से जूते खाने के बाद नहीं रोते हैं, लड़के किसी अपने को खो देने के बाद नहीं रोते हैं..अरे ये लड़के तब नहीं रोते जब इनकी प्रेमिका इन्हें छोड़कर चली जाती है, ये तब नहीं रोते जब इनकी प्रेमिका की शादी हो जाती है, या वो किसी और कि हो जाती है... लड़के अक्सर तब रोया करते हैं जब उनकी समस्याओं का आकार उनके हृदय के आकार से कहीं ज्यादा बड़ा हो जाता है, या उनकी समस्याओं की जड़ें अब उनके हृदय से बाहर निकल आयी हैं, और अब ये जड़ें उनके मष्तिष्क में ज़बरन धँस जाने का प्रयास करने लगी हैं..लड़के ...